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Nirjala Ekadashi2024:निर्जला एकादशी धन, धान्य, सुख, समृद्धि की प्राप्ति हेतु व्रत,पारण और पूजा का सर्वोत्तम समय एवं दान के उपाय

By: Sunil Kumar Soni rewada ,Update: 01/07/2024, Time: 06:00 Pm

Nirjala Ekadashi :निर्जला एकादशी धन धान्य सुख समृद्धि प्राप्ति व्रत का पारण और पूजा समय,दान

निर्जला एकादशी(nirjala ekadashi) व्रत विधि और समय :-

एकादशी तिथि 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट से प्रारंभ होगी और एकादशी तिथि का समापन 18 जून 2024 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा।

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2024)  का व्रत और पूजा 18 जून को रखा जाएगा निर्जला एकादशी व्रत का पारण 19 जून 2024 को किया जाएगा।

व्रत पारण का समय सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 28 मिनट तक ही मान्य रहेगा।

जो भक्त साल के सभी 24 एकादशी का व्रत नहीं कर सकते करते हैं, वे केवल निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2024)का व्रत करके सभी एकादशियों के व्रत का पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं। हर साल 24 एकादशी होती है, लेकिन जिस साल पुरुषोत्तम मास यानी मलमास आता है, उस साल एकादशी 26 हो जाती है।

मान्यता है कि गर्मी के मौसम में काम आनेवाली वस्तुएं जैसे वस्त्र, जूता, छाता, फल आदि दान करने से धन धान्य सुख समृद्धि में वृद्धि होती है इसके साथ ही पूरे दिन

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। ज्यादातर लोग इस दिन शरबत आदि पेयजल बांटते नजर आते हैं, क्योंकि इस दिन जल से भरे कलश का दान अनिवार्य माना जाता है |

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Nirjala ekadashi 2024
Nirjala ekadashi 2024

निर्जला एकादशी व्रत पर दान-पुण्य और गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। जो लोग शहर या विदेश में रहते हैं और पवित्र नदियों का स्नान करने नहीं जा सकते हैं,

वे स्नान के पानी में गंगा जल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के व्रत में जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है। मान्यता है, जो भी भक्त सच्चे मन से इस एकादशी का व्रत करता है,

उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शास्त्रों के अनुसार, इस एकादशी कथा को पढ़ने और सुनने से सहस्र गोदान के जितना पुण्य फल प्राप्त होता है।

नारदपुराण के अनुसार, एकादशी का व्रत भगवान नारायण को बहुत प्रिय होता है। इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और

इसके बाद व्रत का संकल्प लें। पूजा घर में भगवान विष्णु की तस्वीर पर गंगाजल के छींटे दें और रोली-अक्षत से तिलक करें और इसके बाद व्रत का संकल्प लें।

देसी घी का दीपक जलाकर भगवान से जाने-अनजाने जो भी पाप हुए हैं, उससे मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करें और उनकी आरती भी उतारें।

इसके बाद द्वादशी तिथि को स्नान करने के बाद भगवान को व्रत पूरा होने पर स्मरण करें। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा स्वरूप कुछ भेंट देनी चाइए ।

(Nirjala Ekadashi) निर्जला एकादशी कथा:-

जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो महाबली भीम ने निवेदन किया- पितामह!

आपने तो प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन के बिना नहीं रह सकता- मेरे पेट में ‘वृक’ नाम की जो अग्नि है,

उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और बार-बार भोजन करके अपनी सुधा शांत करनी पड़ती है।

तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्यव्रत से वंचित रह जाऊँगा ? पितामह ने भीम की समस्या का निदान कर, उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- नहीं कुंतीनंदन,

धर्म की यही तो विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता, सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की बड़ी सहज और लचीली व्यवस्था भी उपलब्ध करवाता है।

अतः आप ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत करो और तुम्हें वर्ष की संपूर्ण एकादशियों का फल प्राप्त होगा।

निःसंदेह तुम इस पृथ्वी लोक में सुख, यश और अपनी समस्त मनोकामनाओं को प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्ति कर पाओगे श्री हरी नारायण के लोक बैकुंठ में वास करोगे ।

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Nirjala Ekadashi 2024
Nirjala Ekadashi

मंत्र एवं साधना 

इतने आश्वासन पर तो वृकोदर भीमसेन भी इस एकादशी का विधिवत व्रत करने को सहमत हो गए।

इसलिए वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को पृथ्वी लोक में पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहते है।

यह व्रत को प्रत्येक पुरुष और स्त्री दोनो को करना चाहिए।

इस दिन निर्जल व्रत रहकर शेषनाग की सैया स्वरूप वाले प्रभु नारायण की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन इन मंत्रो का जितना हो सके उतना स्मरण करे |

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ

विष्णु चालीसा

(Nirjala Ekadashi) निर्जला एकादशी की पूजा अर्चना विधि

निर्जला एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्‍नान करके दिन का प्रारम्भ सूर्य देव को जल अर्पित कर करें।

मन में भगवान नारायण और माता लक्ष्‍मी का स्‍मरण करते हुए अपने मंदिर की साफ-सफाई करे और फिर व्रत करने का संकल्‍प करें।

लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान नारायण और माता लक्ष्‍मी की मूर्ति या चित्र स्‍थापित कर लें।

मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्‍नान करवा कर केसर का तिलक करने के बाद भोग आरती के साथ विधिवत रूप से पूजा अर्चना करें।

भगवान को पीले फल, पीले फूल, पीले अक्षत और मां लक्ष्‍मी को खीर का भोग लगाएं।

विष्‍णु सहस्‍त्रनाम और विष्‍णु चालीसा का पाठ करें। फिर पूरे दिन श्रृद्धा भाव से भगवान का व्रत करें और पूजा अर्चना में ध्यान लगाएं।

Nirjala ekadashi 2024
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दान क्या करे

मान्यता है कि इन चीजों का दान करने से जीवन के दुख और दर्द का अंत होता है। ज्येष्ठ माह में तेज गर्मी पड़ती है। ऐसे में पशु पक्षियो के जल की व्यवस्था करे,जल का दान करना, दूध और दही का दान शुभ माना जाता है। पानी से भरा घड़ा दान करना जातक के लिए शुभ फलदाई होता है। गोदान, वस्त्र दान, छत्र, फल आदि का दान करना चाइए, अन्न का दान,जरूरतमंद लोगों को दाल और आटा का दान कर
खरबूज, तरबूज, आम समेत आदि फलों का दान करना
दान अपनी स्वेच्छा से अपनी श्रद्धा अनुसार आप जरूरतमंद को दे सकते हैं ।

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अस्वीकरण:

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